राज्य की महिलाओं को मिलने वाला आरक्षण निरस्त होना राज्य सरकार की असफलताः नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य
पहाड़वासी
नैनीताल/देहरादून। राज्य आंदोलनकारियों के बाद राज्य की महिलाओं को मिलने वाले आरक्षण का लाभ उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त किया जाना राज्य सरकार की असफलता है।
यह बात उत्तराखण्ड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य द्वारा कही गयी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के सैंकड़ों सरकारी वकील कांग्रेस की सरकारों द्वारा दिये गये इन दो विशिष्ट वर्गो को मिलने वाले आरक्षण की सही पैरवी न्यायालय में नहीं कर पाये। साथ ही सरकार ने कोई अध्यादेश अथवा विधेयक के माध्यम से महिला आरक्षण के लिए कानून भी नहीं बनाया। उन्होने कहा कि कुछ इसी तरह कुछ साल पहले राज्य आंदोलनकारियों को नौकरियों में मिलने वाला आरक्षण भी उच्च न्यायालय द्वारा समाप्त कर दिया गया था। उन्होने कहा कि कांग्रेस की एनडी तिवारी सरकार ने राज्य की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण दिये जाने का फैसला लिया गया था। सरकार ने इस फैसले को जमीन में उतारने के लिए 24 जुलाई 2006 को तत्कालीन मुख्य सचिव एन एस नपलच्याल की ओर से शासनादेश जारी कर 2001 के शासनादेश के अनुसार मिलने वाले 20 फीसदी क्षैतिज आरक्षण को बढ़ाकर 30 फीसदी क्षैतिज आरक्षण कर दिया था। उन्होने कहा कि कांग्रेस के इस निर्णय से तब से लेकर अब तक उत्तराखण्ड की हजारों महिलाओं को राज्य की हर सेवाओं में अवसर मिला। लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार न्यायालय में राज्य की महिलाओं के हितों की रक्षा करने में असफल रही।