चमोली- थराली के सामाजिक कार्यकर्ता रविन्द्र बिष्ट ने उत्तराखंड में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नामांकन में प्रत्याशियों के नामांकन पत्रों के जांच की मांग की। - Pahadvasi

चमोली- थराली के सामाजिक कार्यकर्ता रविन्द्र बिष्ट ने उत्तराखंड में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नामांकन में प्रत्याशियों के नामांकन पत्रों के जांच की मांग की।

थराली के सामाजिक कार्यकर्ता रविन्द्र बिष्ट ने उत्तराखंड में हो रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नामांकन में प्रत्याशियों के नामांकन पत्रों के जांच की मांग की है उनका कहना है कि उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 और उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन अधिनियम 2019 का त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में खुला उल्लघंन हो रहा हैं।

उनका कहना है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में मुन्नी देवी पत्नी दलवीर सिंह जिनका मतदाता क्रमांक नगर पंचायत थराली में 641 एवं 642 हैं, और ग्राम पंचायत में 514 एवं 515 हैं, जो कि 09- कूनी/पार्था‌ से क्षेत्र पंचायत सदस्य की दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि वे चुनाव में प्रतिभाग कर सकते हैं, या नहीं, इस सम्बन्ध में रिटर्निंग ऑफिसर को शिकायत दर्ज कर दी गई है, लेकिन इस पर निर्णय सरकार लेगी.. कोर्ट लेगा.. या कौन लेगा यह फैसला अभी तक स्पष्ट नहीं है, हम इस सम्बन्ध में जांच की मांग करते हैं, जब तक कि नियमावली का पता न चले।

उनका कहना है कि रिटर्निंग ऑफिसर को स्पष्ट नियमावली की जानकारी नहीं है, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है, किस प्रत्याशी का नामांकन स्वीकार किया जाए व किस प्रत्याशी का नामांकन निरस्त किया जाए,उनका कहना है सरकार तो निर्णय ले चुकी है लेकिन कोर्ट द्वारा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है, यदि कोर्ट निर्णय देती तो ठीक है,अन्यथा यह जांच का विषय है ।

उनका कहना हैं कि उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में लगातार उत्तराखंड सरकार की मनमानी और तानाशाही के विषय संज्ञान में आ रहे हैं, इसी क्रम में उत्तराखंड निर्वाचन आयोग के सचिव द्वारा जारी पत्र यह दर्शाता है कि किस स्तर पर सरकार द्वारा सरकारी मशीनरी एवं संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है, यह बात नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी कही है।

उन्होंने कहा है कि अब नगर निकाय में मतदान कर चुके लोगों को त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में चुनाव लड़ने का अधिकार उत्तराखंड निर्वाचन आयोग के सचिव द्वारा दे दिया गया है, जो कि उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 और उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन अधिनियम 2019 का खुला उल्लंघन है, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी बताया है कि आखिर किसके दिशा निर्देश पर यह हुआ, यह सवाल आज प्रदेश की जनता जानना चाहती है।

उत्तराखंड निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय के वोटर रहे मतदाताओं के त्रिस्तरीय पंचायत में चुनाव लड़ने का रास्ता खोलने के लिए उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 की धारा 9 (13), 10(ख) (1), 54(3) और 91 (3) का सहारा लिया है,ये धाराएं किसी ग्राम पंचायत में दर्ज मतदाता को किसी भी स्तर के पंचायत चुनाव को लड़ने का अधिकार देती है, लेकिन इन धाराओं का हवाला देकर उत्तराखंड निर्वाचन आयोग के सचिव ने अर्ध सत्य का सहारा लिया है।

उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन उत्तराखंड पंचायत अधिनियम, 2016 की धारा 9 (6) व 9(7) जिन मतदाताओं के नाम नगरीय क्षेत्रों में दर्ज हैं, उन्हें ग्राम पंचायत में मतदाता के रूप में नाम चढ़ाने से रोकती है, इसके अलावा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 17 व 18 में भी ऐसे प्रावधान है।

उन्होंने बताया कि नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी कहा कि उत्तराखंड निर्वाचन आयोग ने सत्ताधारी दल के दबाव में आकर इस तरीके का आदेश जारी किया है, जो उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 उत्तराखंड पंचायती राज संशोधन अधिनियम 2019 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के विपरीत है, इससे यह स्पष्ट होता है कि चुनाव प्रक्रिया की सुचिता और निष्पक्षता को खत्म और सत्ताधारी दल भाजपा को लाभ पहुंचाने की पूरी तैयारी है, कांग्रेस की मांग है कि उत्तराखंड निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए पत्र वापस ले और नगर निकाय में मतदाता रहे लोगों को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव लड़ने से रोके और उनका निर्वाचन निरस्त करे।

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