पीएमओ कार्यालय के उप सचिव मंगेश घिल्ड़ियाल ने किया आपदाग्रस्ट जोशीमठ का दौरा
पहाड़वासी
जोशीमठ/देहरादून। जोशीमठ नगर में हो रहे भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों को प्रशासन ने तीन जोन में बांट दिया है। सेक्टर अफसरों की ओर से ऐसे घरों के बाहर से लाल, पीले और हरे रंग के स्टीकर चस्पा किए गए हैं। इनमें लाल रंग के स्टीकर लगे घर डेंजर जोन और पीले वाला स्टीकर संवेदनशील है। ऐसे मकानों का टीम की ओर से चार बार निरीक्षण कर यह आकलन किया जाएगा कि यह मकान कितना सुरक्षित है। जिन घरों के बाहर हरे रंग के स्टीकर चस्पा किए गए हैं, वह सुरक्षित हैं। नगर के सभी वार्डों में इन स्टीकरों को लगाया गया है। वहीं, प्रधानमंत्री कार्यालय में उप सचिव मंगेश घिल्डियाल रविवार को जोशीमठ पहुंचे और आपदा राहत, बचाव कार्यों का जायजा लिया। उन्होंने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ नगर पालिका क्षेत्र में भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। वे दोपहर करीब डेढ़ बजे हेलीकॉप्टर से जोशीमठ पहुंचे।
सबसे पहले वे औली रोपवे के निरीक्षण के लिए पहुंचे और यहां से वे मनोहरबाग से मारवाड़ी गए। उन्होंने यहां हो रहे पानी के रिसाव का भी निरीक्षण किया। इसके बाद वे बदरीनाथ हाईवे पर डिस्मेंटल किए जा रहे माउंट व्यू व मलारी इन होटलों का जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने प्रभावित क्षेत्र में मकानों में पड़ी दरारों का भी निरीक्षण किया। उपसचिव ने अधिकारियों से राहत कार्यों सहित परिसंपत्तियों की क्षति के बारे में फीडबैक लिया। जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने उन्हें प्रभावित क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन के तहत संचालित राहत और बचाव कार्यों की जानकारी दी।
वहीं, आपदा प्रबंधन सचिव डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने रविवार को जोशीमठ नगर क्षेत्र के विभिन्न आपदाग्रस्त क्षेत्रों का निरीक्षण किया। उन्होंने औली रोपवे, मनोहरबाग, सिंहधार, शंकराचार्य मठ, जेपी कॉलोनी में भू-धंसाव का जायजा लिया। इस दौरान उनके साथ भू-वैज्ञानिक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। सचिव आपदा प्रबंधन ने औली रोपवे तथा शंकराचार्य मठ के निकट के क्षेत्र तथा घरों में पड़ी दरारों का निरीक्षण किया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को मकानों में पड़ी दरारों तथा भू-धंसाव के पैटर्न रूट की निरंतर मॉनिटरिंग के निर्देश दिए। उन्होंने औली रोपवे के टावर के ईद-गिर्द दरारों की निगरानी के निर्देश भी दिए। डॉ. सिन्हा ने संबंधित अधिकारियों को दरारों के पैटर्न तथा बढ़ोतरी की निरंतर मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने जानकारी दी कि राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआई) हैदराबाद की टीम की ओर से प्रभावित क्षेत्र का भू-भौतिकीय अध्ययन किया जा रहा है। एनजीआरआई अंडर ग्राउंड वाटर चैनल का अध्ययन कर रही है। अध्ययन के बाद एनजीआरआई की ओर से जियोफिजिकल तथा हाइड्रोलॉजिकल मैप भी उपलब्ध कराया जाएगा। यह मैप जोशीमठ के ड्रेनेज प्लान तथा स्टेबलाइजेशन प्लान में काम आएंगे। डॉ. सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ की समस्याओं के समाधान की दिशा में हम कदम दर कदम आगे बढ़ रहे हैं।
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