हरेला पर्व पर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प: मुन्दोली चमोली में “मुन्दोली राइडर्स क्लब” (MUNDOLI RDERS CLUB) के साथ गांव वालो मिलकर पौधे लगाये!

मुन्दोली, देवाल,  चमोली। देवभूमि उत्तराखंड की नैसर्गिक सुंदरता में एक और अध्याय जुड़ गया, जब पारंपरिक हरेला पर्व के शुभ अवसर पर चमोली जिले के देवाल ब्लॉक स्थित सुरम्य गांव मुन्दोली  में प्रकृति प्रेम और सामुदायिक सद्भाव का अद्भुत संगम देखने को मिला।
 मुन्दोली राइडर्स क्लब (MUNDOLI RIDERS CLUB) के युवा सदस्यों, स्थानीय स्कूली छात्रों और ऊर्जावान ग्रामीणों ने मिलकर एक विशाल वृक्षारोपण अभियान चलाया, जिसमें विभिन्न प्रजातियों के 501 पौधे रोपित कर पर्यावरण संरक्षण का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया गया। यह पहल न केवल हिमालयी क्षेत्र की जैव विविधता को समृद्ध करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने का भी संकल्प है।
उत्सव और पर्यावरण का समन्वय:
हरेला पर्व, उत्तराखंड की संस्कृति में प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक है। यह कृषि और पर्यावरण से जुड़ा एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो आमतौर पर हरियाली और नई फसल के आगमन का जश्न मनाता है। इस वर्ष मुन्दोली  के निवासियों ने इस पर्व को एक अभिनव और रचनात्मक तरीके से मनाया, जिसमें पारंपरिक उल्लास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का गंभीर संदेश भी निहित था। सुबह से ही गांव में एक अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा था। बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस नेक कार्य में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आतुर थे, जिस्मे मुख्य रूप से प्रतिभाग किया पूरन सिंह बिष्ट (वन पंचायत सरपंच), रघुवीर सिंह (पूर्व सैनिक), आनंद सिंह बिष्ट ‌(प्रधान), श्री कलम सिंह बिष्ट ( पूर्व सैनिक, अल्ट्रा धावक, सामाजिक कार्यकर्ता, साइक्लिस्ट, क्लब  संस्थापक),
बलवीर दानू(संस्थापक: हिमालयन फल संरक्षण सहकारी समिति लि0),  डॉ नंदनी शाह, कुन्दन सिंह दानू , बलवीर पुजारी, श्रीमती कमला देवी, श्रीमती अमरा देवी, श्रीमती मखी देवी, श्रीमती अनीता देवी, श्रीमती नीमा देवी, अंजू , कोमल, मनोज, राहुल, संदीप कुमार, साहिल, रोहन बिष्ट, धीरज बिष्ट, सचिन सिंह, दिपांशु पंचोली, चन्द्रमोहन कुमार आदी,
MUNDOLI RIDERS CLUB: युवा ऊर्जा का प्रतिरूप:
इस अभियान की अगुवाई MUNDOLI RIDERS CLUB ने की, जो क्षेत्र के युवाओं का एक समूह है, जिसके संस्थापक श्री कलम  सिंह बिष्ट जो विभिन्न सामाजिक व पर्यावरणीय गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेता  है। क्लब के सदस्यों ने इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने से लेकर पौधों की व्यवस्था करने और ग्रामीणों को संगठित करने तक, हर स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। क्लब के अध्यक्ष ने बताया, “हमारा मानना है कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकारों या बड़े संगठनों का काम नहीं है, बल्कि यह हर नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी है। हरेला पर्व हमें प्रकृति के करीब आने और उसे सहेजने का अवसर प्रदान करता है। हमने इस अवसर का उपयोग अपने गांव और क्षेत्र को और भी हरा-भरा बनाने के लिए किया।”
सामुदायिक भागीदारी का मॉडल:
यह वृक्षारोपण अभियान पूरी तरह से सामुदायिक भागीदारी का एक उत्कृष्ट मॉडल था। जिसमें “हिमालय फल संरक्षण सहकारी समिति लि0” का विशेष योगदान, संस्थापक बलवीर सिंह  पौधे मिलकार लगाएं और ग्रामवासी व  स्कूली छात्रों ने अपने छोटे-छोटे हाथों से गड्ढे खोदे और उत्साहपूर्वक पौधे लगाए। गांव की महिलाएं और पुरुष भी पीछे नहीं रहे, उन्होंने भी श्रमदान कर इस अभियान को सफल बनाने में योगदान दिया। बच्चों को पर्यावरण के महत्व के बारे में शिक्षित किया गया और उन्हें पेड़ों को पानी देने और उनकी देखभाल करने का महत्व समझाया गया। इस सहभागिता ने न केवल कार्यक्रम को सफल बनाया, बल्कि ग्रामीणों और छात्रों के बीच पर्यावरण के प्रति एक गहरी समझ और जुड़ाव भी पैदा किया।
प्रजातियों की विविधता और पारिस्थितिक महत्व:
इस अभियान में रोपित किए गए 501 पौधे केवल संख्या भर नहीं थे, बल्कि वे विभिन्न प्रजातियों का प्रतिनिधित्व करते थे, जो स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनमें उत्तराखंड के पहाड़ों की पहचान माने जाने वाले देवदार, ओक, बुरांश जैसे वृक्षों के साथ-साथ,  और अन्य फलदार वृक्ष भी शामिल थे। इन पौधों का चयन इस बात को ध्यान में रखकर किया गया था कि वे स्थानीय जलवायु और मिट्टी के अनुकूल हों, साथ ही क्षेत्र की जैव विविधता को भी बढ़ावा दें। विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाने से न केवल वन आवरण बढ़ता है, बल्कि यह वन्यजीवों के लिए आवास और भोजन भी प्रदान करता है, जिससे संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होता है।
हिमालयी क्षेत्र के लिए महत्व:
उत्तराखंड का हिमालयी क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। भूस्खलन, मृदा अपरदन और जल संकट जैसी चुनौतियां यहां आम हैं। ऐसे में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान इन समस्याओं से निपटने में सहायक सिद्ध होते हैं। पेड़ मिट्टी को बांधे रखते हैं, भूस्खलन को रोकते हैं, भूजल स्तर को बढ़ाते हैं और वायु गुणवत्ता में सुधार करते हैं। मुन्दोली  में किया गया यह वृक्षारोपण न केवल इस गांव के लिए, बल्कि पूरे चमोली जिले और वृहद हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी एक सकारात्मक प्रभाव डालेगा। यह अन्य गांवों और समुदायों को भी इसी तरह की पहल करने के लिए प्रेरित करेगा।
भविष्य की ओर एक कदम:
इस सफल अभियान के बाद, MUNDOLI RIDERS CLUB और ग्रामीणों ने संकल्प लिया है कि वे इन पौधों की नियमित रूप से देखभाल करेंगे और भविष्य में भी ऐसे ही पर्यावरणीय कार्यक्रमों का आयोजन करते रहेंगे। यह वृक्षारोपण केवल एक दिन का आयोजन नहीं था, बल्कि यह एक सतत प्रक्रिया की शुरुआत है, जिसका लक्ष्य मुन्दोली और उसके आसपास के क्षेत्र को एक पर्यावरणीय मॉडल के रूप में विकसित करना है। हरेला पर्व पर रोपे गए ये 501 पौधे सिर्फ वृक्ष नहीं, बल्कि एक स्वस्थ, समृद्ध और स्थायी भविष्य की आशा हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रकृति की अमूल्य विरासत का महत्व सिखाएंगे।
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