पौड़ी गढ़वाल। जहरीखाल प्रखंड में बीते कई दिनों से दहशत का कारण बने आदमखोर बाघ को वन विभाग ने सफलतापूर्वक ट्रेंकुलाइज कर पिंजरे में कैद कर लिया है। बाघ के पकड़े जाने के बाद अमलेशा गांव समेत आसपास के ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। जानकारी के अनुसार, जहरीखाल प्रखंड के अंतर्गत ग्रामसभा अमलेशा और आसपास के गांवों में बीते कुछ समय से बाघ की लगातार मौजूदगी देखी जा रही थी। पांच दिसंबर को बाघ ने ग्रामसभा अमलेशा के तोकग्राम डाल्यूंगाज में एक दर्दनाक घटना को अंजाम दिया था। इस दौरान घर के समीप चारापत्ती एकत्र कर रही उर्मिला देवी (60 वर्ष), पत्नी राजेंद्र सिंह पर बाघ ने हमला कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में भय का माहौल बन गया था। ग्रामीणों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया था।
घटना की गंभीरता को देखते हुए वन विभाग ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से वरिष्ठ वन्यजीव चिकित्सक डॉ. दुष्यंत शर्मा के नेतृत्व में विशेषज्ञ टीम को क्षेत्र में भेजा गया। गांव के आसपास संभावित आवाजाही वाले स्थानों पर पिंजरा लगाया गया। लगातार निगरानी के लिए वन कर्मियों की टीमें तैनात की गईं।
बाघ को सुरक्षित रूप से पकड़ने के लिए पशु चिकित्सक डॉ. दुष्यंत कुमार को विशेष रूप से तैनात किया गया। कई दिनों की सतर्क निगरानी के बाद आज तड़के लगभग चार बजे टीम को सफलता मिली। डॉ. दुष्यंत कुमार ने बाघ को ट्रेंकुलाइज किया। जिसके बाद विभागीय टीम ने उसे सुरक्षित रूप से पिंजरे में कैद कर लिया।
पकड़े गए बाघ को प्राथमिक जांच के बाद रेस्क्यू सेंटर कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व के ढेला रेस्क्यू सेंटर भेज दिया गया है। जहां उसका स्वास्थ्य परीक्षण और आगे की कार्रवाई की जाएगी। वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि फिलहाल सतर्कता बनाए रखें और जंगल से लगे क्षेत्रों में अकेले न जाएं। रुद्रप्रयाग में भी बीती रात लगभग 10 बजे वन विभाग की टीम ने अगस्त्यमुनि के जोंदला क्षेत्र के समीप एक गुलदार (तेंदुआ) का सफलतापूर्वक रेस्क्यू एवं ट्रैपिंग किया। इस कार्रवाई से क्षेत्र में लंबे समय से बनी दहशत का माहौल समाप्त हुआ है। इसके बाद स्थानीय ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। प्रभागीय वनाधिकारी रजत सुमन ने स्थानीय ग्रामीणों से अपील की कि वे वन्यजीवों से संबंधित किसी भी प्रकार की सूचना तत्काल विभाग को उपलब्ध कराएं। उन्होंने आश्वस्त किया कि क्षेत्र में आगे भी निरंतर निगरानी एवं सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखी जाएगी। जिससे मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोका जा सके।