स्टोन क्रेशर के लिए क्षेत्र में किया जा रहा अवैध खनन, ग्रामीणों में आक्रोश

स्टोन क्रेशर के लिए क्षेत्र में किया जा रहा अवैध खनन, ग्रामीणों में आक्रोश

पहाड़वासी

चमोली। थराली/नारायणबगड के दुरस्त क्षेत्र के रैंस-भटियाणा मोटर मार्ग पर कोठली गाॅव के समीप कार्यदायी संस्था पीएमजीएसवाई के माध्यम से स्टोन क्रेशर लगाया गया है, जहाॅ पर मानकों की अनदेखी करते हुऐ क्रेशर हेतु सम्पूर्ण खनन चिरखून गाॅव के गधेरे से होने के कारण सम्पूर्ण गाॅव को खतरा उत्पन्न हो गया है जिसकी कई बार ग्रामीणों द्वारा शासन प्रशासन से शिकायत भी की गयी लेकिन किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही न होने के कारण ग्रामीण खुद को ठगा महसूस कर रहे है व भविष्य में गाॅव को होने वाले खतरे को लेकर चिन्तित है।

नारायणबगड के रैस-भटियाणा मोटर मार्ग लम्बाई 30 किमी पर द्वितिय फेस के अन्तर्गत कराये जा रहे कार्य के तहत अधिशासी अभियंन्ता पीएमजीएसवाई द्वारा 19 नवम्बर 2016 को कार्यरत ठेकेदार को ग्राम कोठली के राजस्व क्षेत्र जाखपाटियू में खाता न0 37 एवं 06 के खसरा सं. 1956, 1981व 1982 में 25 टन क्षमता के मोबाईल स्टोन क्रेशर के संचालन की अनुमती निम्न शर्तो के अनुसार दी गयी जिसमें पर्यावरण संरक्षण अधिनियम -1986 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन सहित क्रस्ट उपखनिज का मोटर मार्ग के ही निर्माण में प्रयोग किया जाना होगा व किसी भी प्रकार कि ब्यवसायिक प्रयोग किये जाने पर शख्त कार्यवाही की जाने सहित अन्य प्रावधानों का मानकानुसार अनुपालन किये जाने हेतु निर्देशित किया गया लेकिन ग्रामीणों के अनुसार कार्यदायी संस्था व ठेकेदार की मिलीभगत से नियमों को ताक में रखते हुए गाॅव के गधेरे से खनन किया जा रहा है जिससे उनके गाॅव को गम्भीर खतरा उत्पन्न हो गया है जिसकी उच्च स्तरीय जाॅच की जाय अथवा गाॅव के नीचे पक्की सुरक्षा दीवाल अथवा गाॅव के अन्यत्र विस्थापन की कार्यवाही की जाय।

ग्राम प्रधान चिरखून हरि प्रसाद जोशी, पूर्व प्रधान सुशील जोशी ग्रामीण राजेन्द्र प्रसाद कान्ती के अनुसार क्रेशर के लिए उनके गाॅव के समीप गडनी गधेरे से खनन किया गया है जिसके लिए ना तो गाॅव से कभी एनओसी ली गयी न ही ग्रामीणों को कभी पूछा गया खनन के कारण जहाॅ एक ओर गाॅव के नीचे की भूमि धीरे-धीरे धस रही है वही गाॅव के समीप उनके पूर्वजों द्वारा बाॅज व बूराॅश का जंगल लगाया गया था उनके नीचे से पत्थरों को निकालने से जहाॅ कई पेड टूट गये है वही सारा जंगल खतरे की चपेट में आ गया है। कई सम्बन्ध ग्रामीणों द्वारा कई बार इस बावत अधिकारीयों को अवगत कराया गया लेकिन किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नही हो पायी।

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