चिन्यालीसौड़ क्षेत्र में भूगर्भीय सर्वे कराने की मांग, कई स्थानों पर हो रहा भूधंसाव
उत्तरकाशी/देहरादून,पहाड़वासी। टिहरी बांध की झील से भू-धंसाव के कारण उत्तरकाशी में लीसा डिपो के समीप सरकारी और आवासीय भवनों पर खतरा मंडरा रहा है। कई स्थानों पर दरारें उभरने से लोगों में दहशत का माहौल है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों व विभिन्न संगठनों ने इस संबंध में पुनर्वास निदेशक व टीएचडीसी के अधिशासी निदेशक से चिन्यालीसौड़ क्षेत्र में भूगर्भीय सर्वे कराने की मांग कीे है।
टिहरी-उत्तरकाशी जनपद की सीमा पर स्थित चिन्यालीसौड़ शहर सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है लेकिन चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे के नीचे लगभग 500 मीटर क्षेत्र में पीपलमंडी, चिन्यालीसौड़, नागणीसौड़ व बड़ेथी तक लगभग पांच किमी में जगह-जगह सड़क में हो रहे भू-धंसाव के कारण कई स्थानों पर आधा से एक फीट जमीन धंस रही है जिससे हवाई अड्डे सहित ऊर्जा निगम, वन विभाग, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मैरी माता स्कूल, आदर्श इंटर कॉलेज, बिजल्वाण मोहल्ला, चिन्यालीसौड़ बाजार, वाल्मीकि बस्ती, बड़ी व छोटी नागणी, हिटारा, पीपलमंडी, स्टेट बैंक पीडब्ल्यूडी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, भागीरथी विद्या मंदिर सहित कार्यालयों आवासीय भवन खतरे में हैं।
भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष पूनम रमोला, पूर्व पालिकाध्यक्ष शूरवीर रांगड़, प्रधान संगठन अध्यक्ष कोमल राणा, रजनी कोटवाल, व्यापार मंडल अध्यक्ष कृष्णा नौटियाल, जिला महामंत्री अमित सकलानी, राकेश मेहरा, वीरेंद्र कोहली, विजय थपलियाल, भाजपा नेता खीमानंद बिजलवाण, जिला पंचायत सदस्य अरविंद लाल, मदनलाल बिजल्वाण, उर्वीदत्त गैरोला आदि का कहना है कि टिहरी बांध झील से चिन्यालीसौड़ सहित आसपास के 16 तटवर्ती गांवों पर खतरा मंडरा रहा है। गांवों के तटवर्ती हिस्सों में भू-धंसाव से जगह-जगह सड़कें, आवासीय भवनों, सरकारी गैर सरकारी विभागों व कार्यालयों आदि क्षेत्रों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ जाने से खतरा पैदा हो गया। कहा कि टीएचडीसी के अधिकारियों से समस्या के निराकरण की बात कही, जिस पर टीएचडीसी द्वारा प्रभावित क्षेत्र के कुछ हिस्सों में निर्माण कार्य प्रारंभ करने के बाद निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद उस क्षेत्र में फिर से दरारें पड़ने लगी हैं। प्रभावित जनता ने टीएचडीसी, पुनर्वास, प्रशासन-शासन से झील से प्रभावित क्षेत्रों का शीघ्र भू-गर्भीय जांच की मांग की है।