उत्तराखंड में कठोर भू-कानून बनाने की मांग

 

उत्तराखंड में कठोर भू-कानून बनाने की मांग

पहाड़वासी

टिहरी।  भू अध्यादेश अधिनियम अभियान उत्तराखंड के सदस्यों ने प्रदेश सरकार से हिमाचल की तर्ज पर उत्तराखंड में कठोर भू-कानून बनाने की मांग की है। कहा कि यदि उत्तराखंड को भू-माफियाओं से बचाना है, तो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस ओर कार्य करना है। अभियान के सदस्यों ने देहरादून से जागरूकता यात्रा शुरू की है। अब तक श्रीबदरीनाथ और केदारनाथ धाम को ज्ञापन दे चुके हैं। जबकि गंगोत्री, यमुनोत्री के बाद जागेश्वर और चितई गोलज्यू देवता को भी जल्द ज्ञापन दिया जाएगा।

टिहरी पहुंचे अभियान के मुख्य संयोजक शंकर सागर रावत ने पत्रकार वार्ता में बताया कि उत्तराखंड में भू-कानून न होने से आज अधिकांश जमीन पर उद्योगपतियों का कब्जा हो गया है। तिवारी सरकार के समय 500 वर्ग मीटर लेने का अध्यादेश था, जिसे खंडूड़ी सरकार ने 250 वर्ग मीटर किया। लेकिन कानून किसी ने नहीं बनाया। वहीं 2018 में तो त्रिवेंद्र रावत सरकार ने जमीन की बंदरबांट के लिए अध्यादेश को ही खंडित कर दिया। कहा कि हर क्षेत्र से उन्हें समर्थन मिल रहा है। ऐसे में राजनीतिक दलों को भी मामले में आपसी मतभेद भुलाकर सख्त भू-कानून बनाने की पैरवी करनी चाहिए। इस मौके पर कुमाऊं प्रभारी आचार्य प्रकाश पंत, अशोक नेगी, राजेश पेटवाल भी मौजूद थे। दूसरी ओर उत्तराखंड में भू-कानून लागू करने की मांग को लेकर तहसील गजा में प्रगतिशील जन विकास संगठन और सिविल सोसाइटी नकोट ने सांकेतिक धरना देकर तहसीलदार के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजा। कहा कि सरकार को जल्द ही भू-कानून बनाना होगा। इस मौके पर दिनेश उनियाल, मनजीत नेगी, विक्रम रावत, राजवीर चैहान, अनिल भंडारी, बासुदेव उनियाल, चतर सिंह नेगी, टंखी सिंह नेगी, दिलवीर रावत, सूर्य रावत, एलएस

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