डॉ निधि उनियाल का नहीं यह है उत्तराखंड के स्वाभिमान से जुड़ा मामलाः गरिमा मेहरा दसौनी

 

डॉ निधि उनियाल का नहीं यह है उत्तराखंड के स्वाभिमान से जुड़ा मामलाः गरिमा मेहरा दसौनी

पहाड़वासी

देहरादून। पंकज पांडे की धर्मपत्नी और डॉ निधि उनियाल मामले में उत्तराखंड कांग्रेस की गढ़वाल मंडल मीडिया प्रभारी एवं प्रदेश प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने सरकार पर लीपापोती का आरोप लगाया है। दसौनी ने कहा की प्रचंड बहुमत की सरकार में सारे नियम कायदे कानूनों को ताक पर रखकर उत्तराखंड के साथ समझौता हो रहा है। दसोनी ने स्वास्थ सचिव पंकज पांडे से पूछा कि आखिर कौन से नियम के तहत डॉ निधि उनियाल को मजबूर किया गया कि वह चलती हुई ओपीडी और सैकड़ों मरीजों को उनके हाल पर  छोड़कर पंकज पांडे की धर्मपत्नी की जांच करने उनके आवास पर जाएं और आखिर किस बात पर डॉ निधि उनियाल का ट्रांसफर आनन-फानन में अल्मोड़ा किया गया ?

दसोनी ने कहा कि भले ही मुख्यमंत्री ने मामले का संज्ञान लेते हुए ट्रांसफर रुकवा दिया हो लेकिन इतना काफी नहीं है। डॉ निधि उनियाल के साथ-साथ उत्तराखंड वासियों के सम्मान को जो चोट पहुंची है और जो मानसिक प्रताड़ना से निधि उनियाल गुजरी है उसकी भरपाई मात्र ट्रांसफर रोकने से नहीं होगी। दसोनी ने कहा की डॉ निधि उनियाल का अपमान समस्त उत्तराखंड वासियों का अपमान है। उनके स्वाभिमान और आत्मसम्मान की रक्षा करना वर्तमान सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। दसोनी ने कहा की इस तरह की वारदातों की पुनरावृत्ति ना हो इसके लिए बहुत जरूरी है कि राज्य सरकार सभी अधिकारियों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करें। गरिमा ने कहा कि आज पूरा उत्तराखंड निधि उनियाल के साथ खड़ा है और उनके लिए इंसाफ की मांग कर रहा है लेकिन सरकार है कि इस मामले की लीपापोती करते हुए नजर आ रही है। जांच समिति का बनाया जाना उसकी ही एक बानगी है। दसोनी ने कहा कि लोगों का विश्वास अब इन जांच समितियों से उठ गया है।

निधि उनियाल जब आवास पर गई तो उनके साथ दो महिला कर्मी भी थे उनसे ही पूछताछ करके मामले का पटाक्षेप किया जा सकता था ।लेकिन सरकार की शायद मंशा ही नहीं है और वह इस प्रकरण को और लंबा खींचना चाहती है ताकि उत्तराखंड वासियों के मानस पटल से यह पूरा प्रकरण धूमिल हो जाए और लोग शनै शनै इसे भूल जाए। दसौनी ने कहा लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं है ये पूरा प्रकरण उत्तराखंड को शर्मसार करने वाला है और कैसे सरकार में वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा जनता का और कर्मचारियों का दोहन/शोषण हो रहा है उसका उदाहरण है। दसौनी ने कहा कि करोना काल में जिन डॉक्टरों के ऊपर पुष्प वर्षा की जा रही थी और उन्हें ईश्वर तुल्य बताया जा रहा था आज उनका ही मानसिक उत्पीड़न भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार में हो रहा है जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।

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