लोकपर्व हरेला के अवसर पर पेड़ वाले गुरुजी धन सिंह गरिया एवं अध्यापिका श्रीमती कुसुमलता गड़िया द्वारा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय वीणा पोखरी चमोली में किया गया वृक्षारोपण का आयोजन
पहाड़वासी

पौधारोपण के दौरान पेड़ वाले गुरुजी धन सिंह गरिया एवं श्रीमती कुसुमलता गड़िया ने बताया कि हरेला का अर्थ हरियाली से है इस दिन सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की कामना की जाती है ऋग्वेद में भी हरियाली के प्रतीक हरेला का उल्लेख किया गया है। इस अवसर पर पौधारोपण कार्यक्रम में आये हुए सभी गणमान्य लोगों से अपील की कि हम सबको पर्यावरण का संरक्षण करना चाहिए।
जिसके लिए पर्यावरण को बचाने के लिए अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए। खासतौर से पीपल के वृक्ष की कई अहम जानकारियां बताते हुए कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पीपल का पेड़ एक सच्चा जीवन वृक्ष है। और पेड़ों के विपरीत यह रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है। पर्यावरणविद् पीपल के पेड़ लगाने के लिए बार-बार इसीलिए कहते है। पीपल के पेड़ में कई औषधीय गुण भी पाये जाते है। जिसका प्रयोग आयुर्वेद में अस्थमा, मधुमेह, दस्त, मिर्गी, संक्रामक एवं अन्य यौन विकारों में किया जाता है। भारतवर्ष में पीपल के पेड़ एवं तुलसी के पौधे की पूजा करना घरों एवं मंदिरों में एक आम बात है। पीपल के पेड़ का मूल निवास भारतीय महाद्वीप एवं इंडोनेशिया माना जाता है।
भारतीय उप महाद्वीप में पीपल का पेड़ धार्मिक मान्यतानुसार भारत के तीन प्रमुख धर्मो में जैसे हिन्दू धर्म, बौद्व धर्म एवं जैन धर्म में इसको बहुत पवित्र माना जाता है। पीपल के पेड़ से बनी हुई प्रार्थना की माला को पवित्र माना जाता है जो जाप करने के काम आती है। पीपल का पेड़ भारतीय सभ्यता में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। गौतम बुद्ध ने ज्ञानार्जन बिहार के गया एवं वेद व्यास ने महाभारत का लेखन उत्तर प्रदेश के शुक्रताल में पीपल के पेड़ के ही नीचे बैठकर की थी। इसलिए आज भी पीपल का पेड़ हिन्दु, बौद्ध, जैन मंदिरों में निश्चित तौर पर लगाया जाता है ऐसा कोई पवित्र स्थान नहीं होगा जहां पर पीपल का पेड़ न हो।
