चाय बागान की जमीन उत्तराखंड सरकार की, एडीएम डा. शिव बरनवाल की अदालत का फैसला

 

चाय बागान की जमीन उत्तराखंड सरकार की, एडीएम डा. शिव बरनवाल की अदालत का फैसला

-लाडपुर, रायपुर, चकरायपुर की विवादित जमीन का है मामला
-संतोष अग्रवाल पर लटकी कार्रवाई की तलवार
-फैसले से विवादित जमीन खरीदने वालों में हलचल

देहरादून,पहाड़वासी। देहरादून में चाय बागान की सीलिंग की बेशकीमती जमीन को कब्जाने के मामले में अपर जिला कलक्टर अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। इसके तहत चकरायपुर, रायपुर, लाड़पुर, परवादून में चाय बागान की जमीन की खरीद-फरोख्त को गैरकानूनी करार दिया है। अदालत ने लाडपुर स्थित जमीन पर अपना अधिकार बताने वाले वादी संतोष अग्रवाल की याचिका को खारिज कर दिया गया है। अदालत ने कहा है कि इस जमीन का मालिकाना हक राज्य सरकार का होगा।

देहरादून के जिला अपर कलक्टर डा. शिव कुमार बरनवाल ने याचिकाकर्ता संतोष अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में संतोष कुमार ने अपील की थी कि चकरायपुर, लाडपुर, रायपुर स्थित चाय बागान की जमीन पर उनका मालिकाना हक है। इस जमीन की खरीद-फरोख्त कानूनी तरीक से की गयी है। अदालत ने याचिकाकर्ता के इस दावे को निरस्त कर दिया। अदालत ने कहा कि चाय बागान की जमीन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर 1975 के बाद सीलिंग की जमीन को लेकर स्पष्ट आदेश दिये थे कि यदि कोई भूमि मालिक सीलिंग की जमीन की खरीद-फरोख्त करेगा तो उसका जमीन पर मालिकाना हक स्वतः ही समाप्त हो जाएगा और यह जमीन सरकार को हस्तांतरित हो जाएगी।

गौरतलब है कि यह मामला आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट विकेश नेगी ने उठाया था और इस मामले में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने आदेश दिये थे कि मामले की सुनवाई नियत प्राधिकारी ग्रामीण सीलिंग करें। यह आदेश मौजा रायपुर, चकरायपुर, लाड़पुर, नत्थनपुर और परवादून की चाय बागान को लेकर दिये गये। सीलिंग भूमि में वादी पक्ष कुमुद वैद्य आदि वारिस बनाए गये हैं। वादी संतोष अग्रवाल ने याचिका दायर की थी कि यह उनकी पुश्तैनी भूमि है और उसे बेच सकते हैं। लेकिन अदालत ने उनकी इस दलील को नहीं माना। इसके बाद चकरायपुर की भूमि खसरा नंबर 203 की 4.40 एकड़, खसरा नंबर 204 की 0.18 एकड़ और खसरा नंबर 205 की कुल 2.12 एकड़ यानी कुल 6.70 हेक्टेयर भूमि को राज्य सरकार की भूमि बताया है। इसके तहत भूमि को हस्तांतरित करना या बेचना पूरी तरह से गैरकानूनी है।

संतोष अग्रवाल पुत्र पन्नालाल अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की गयी। पत्रावली में उपलब्ध समस्त तथ्यों एवं विपक्षी के विद्वान अधिवक्ताओं एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व देहरादून की बहस से स्पष्ट है कि ग्राम चकरायपुर की भूमि खसरा नम्बरध्क्षेत्रफल 203ध्4.40 एकड़, 204ध्0.18 एकड, 205ध्2.12 एकड़ कुल 6. 70 एकड़ भूमि विक्रेता कुंवर चन्द्र बहादुर द्वारा उ०प्र०अधि०जो०सी०आ०अधि0 1960 के तहत सीलिंग से छूट प्राप्त चायबाग भूमि घोषित करवाई थी। जिसे न्यायालय अपर कलक्टर ध्नियत प्राधिकारी ग्रामीण सीलिंग द्वारा दिनांक 31.07.1996 के फैसले में स्पष्ट उल्लेख भी किया गया है। विक्रेता द्वारा स्वयं धारा ठ (1) (घ) के तहत चाय बाग घोषित करायी भूमि को बिना राज्य सरकार की पूर्व अनुज्ञा के अधिनियम 1960 की धारा 6 ( 2 ) का उल्लंघन करते हुये, 1987 में श्री संतोष अग्रवाल की माता इन्द्रावती पत्नी पन्नालाल को विक्रय किया गया। जोकि अधिनियम 1960 के प्राविधान धारा 6 ( 2 ) के तहत यह अन्तरण ( विक्रय विलेख) स्वतः शून्य हो चुका है तथा साथ ही धारा 6 (3) के अनुसार यह भूमि अतिरिक्त भूमि समझी जायेगी और दिनांक 10.10.1975 के बाद वर्ष 1987 में हुआ यह बैनामा स्वतः शून्य होते हुये ग्राम चकरायपुर की खसरा 203 ध् 4.40 एकड़ 204 ध् 0.18 एकड़, 205 ध् 2.12 एकड़ कुल 6.70 एकड़ भूमि अन्तरण के दिनांक 12.05.1987 से ही समस्त भारों से मुक्त होकर राज्य सरकार को अन्तरित और उसमें निहित हो चुकी है तथा इस भूमि में समस्त व्यक्तियों के समस्त अधिकार, आगम तथा स्वत्व समाप्त हो चुके हैं। वर्तमान में यह भूमि राज्य सरकार की सम्पत्ति है। जिस पर नगर निगम अधिनियम 1959 के प्राविधान उपरोक्त तथ्यों के दृष्टिगत लागू नहीं होते हैं। अतः संतोष अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र दिनांक 22.09.2022 का उपरोक्तानुसार निस्तारण करते हुए प्रार्थना पत्र निरस्त किया जाता है।

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