समाज में विकृतियों को मिटाने के लिए मानव में जागृति की आवश्यकताः साध्वी गरिमा भारती

समाज में विकृतियों को मिटाने के लिए मानव में जागृति की आवश्यकताः साध्वी गरिमा भारती

देहरादून,पहाड़वासी। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा रामलीला ग्राउन्ड, रोहिणी, सेक्टर-24, विकास भारती पब्लिक स्कूल के सामने, दिल्ली में 4 से 10 दिसम्बर तक भव्य सात दिवसीय भगवान शिव कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के तीसरे दिवस भगवान शिव कथा का रसास्वादन करवाते हुए साध्वी गरिमा भारती जी ने कहा कि श्काकभुशुण्डी जी ने गरुड़ जी को, याज्ञवल्क्य जी ने भरद्वाज जी व अन्य ऋषि मुनियों को, तथा भगवान शिव जी ने माता पार्वती को यह कथा सुना कर उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया।

जब आदि शक्ति को पुत्री के रूप में प्राप्त करने के लिए महाराज हिमवान व माता मैना ने घोर तप किया। आदि शक्ति ने प्रसन्न होकर पुत्री रूप में उन्हें प्राप्त होने का वरदान दिया। आज समाज में पुत्री जन्म को शुभ नहीं माना जाता। समाज का शिक्षित वर्ग कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध को सहमति देता हैं। पुत्र की अकांक्षा आज समाज के फैले असंतुलन का कारण बन रही है। रक्षा बंधन, नवरात्रें जिसमें कन्या की कंजकों के रुप में पूजा की जाती है, यह पावन पर्वो की संस्कृति संकट में पड़ गई हैं। कन्या प्रत्येक परिवार के लिए कितना महत्त्व रखती है, आज का समाज उस महत्त्व को भूल चुका है। हमें संस्कृति के रक्षा व समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए जागना होगा। जो जाग्रति भीतर से ब्रह्म के साथ जुड़ने के बाद ही संभव है। साध्वी जी बताया कि गुरुदेव श्री आशुतोष महाराज जी आज समाज में युवाओं को भी ब्रह्मज्ञान प्रदान कर तृतीय नेत्र प्रदान कर भीतर उठने वाली वासनाओं से ऊपर उठाने का कार्य कर रहे हैं। भगवान शिव के वास्तविक रूप को जानकर ही सत्यम, शिवम, सुंदरम के पथ पर अग्रसर हुआ जा सकता है। शिव को जाने बिना मानव का जीवन कंप्लीट पर्सनैलिटी के रूप में परिवर्तित नहीं हो सकता है। जिस प्रकार से हर वस्तु का एक आधार होता है मानव के जीवन का आधार परमात्मा है।

 

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