पहाड़ की बेटी अंजू ने रचा इतिहास: MTB साइकिलिंग की दुनिया में लहराया गढ़वाल का परचम - Pahadvasi

पहाड़ की बेटी अंजू ने रचा इतिहास: MTB साइकिलिंग की दुनिया में लहराया गढ़वाल का परचम

पहाड़ की बेटी अंजू ने रचा इतिहास: MTB साइकिलिंग की दुनिया में लहराया गढ़वाल का परचम

मुन्दोली/देहरादून। गढ़वाल मंडल, उत्तराखंड की एक गरीब और पिछड़े गांव की रहने वाली अंजू ने साइकिलिंग की दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। पहाड़ों की गोद में पली-बढ़ी अंजू ने साइकिलिंग की कठिन दुनिया में न केवल कदम रखा बल्कि अपनी प्रतिभा का लोहा भी मनवाया है। यह कहानी है अदम्य हौसलों और जुनून की, जहां संसाधनों की कमी भी हौसलों को डिगा नहीं पाई।

बेटी अंजू के पिता श्री अर्जुन सिंह और माता श्रीमती हेमा देवी का गर्व से सीना चौड़ा हो गया, खुद को अंजू के माता पिता होने का।

अंजू को माउंटेन बाइकिंग (एमटीबी) की शिक्षा मुन्दोली राइडर्स क्लब के बैनर तले मिली। इस क्लब के संस्थापक श्री कलम सिंह बिष्ट पूर्व सैनिक, पर्वतारोही, अल्ट्रा रनर और साइकिलिस्ट हैं। मुन्दोली राइडर्स क्लब 300 से अधिक छात्रों को उनके अपने-अपने गांवों में ही निशुल्क शिक्षा प्रदान करता है। ये सभी छात्र अलग-अलग गांवों के हैं, जो क्लब से 10, 15, 25 किलोमीटर से भी अधिक दूर स्थित हैं।

अंजू की कहानी प्रेरणा से भरपूर है। पहली बार एमटीबी (MTB) साइकिलिंग के बारे में जानने के बाद उसने कड़ी मेहनत की और कुमाऊं के कौसानी में आयोजित MTB कौसानी प्रतियोगिता में भाग लिया। यह प्रतियोगिता उसके लिए एक नया अनुभव था, जहां उसे पहले से ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महिला एमटीबी (MTB) राइडर्स का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद अंजू ने हार नहीं मानी और प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान प्राप्त किया। यह न केवल उसकी अपनी उपलब्धि थी बल्कि पूरे गढ़वाल क्षेत्र के लिए गर्व का क्षण था।

अंजू एमटीबी(MTB) सीखने वाली क्षेत्र की पहली लड़की हैं। प्रतियोगिता के दौरान उनकी साइकिल में थोड़ी तकनीकी खराबी आ गई थी, जिसकी वजह से वह और भी तेज गति से साइकिल चला नहीं पाईं। फिर भी उन्होंने तीसरा स्थान प्राप्त कर साबित कर दिया कि उनमें कितनी प्रतिभा है।

एमटीबी (MTB) कौसानी के आयोजक श्री प्रदीप राणा द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में दो चरण थे। पहले दिन प्रतिभागियों को दो लूप पूरे करने थे, जिनमें से प्रत्येक लूप 3.5 किलोमीटर का था। इस प्रतियोगिता को एमटीबी (MTB) टैक्टिकल ऑफ-रोड माउंटेन बाइकिंग कहा जाता है। ट्रैक में कई चढ़ाई, उतराई, कूदने के लिए बनाए गए स्थान, लकड़ी के पुल, संकरे यू टर्न (Narrow U-turn) और 3.5 किलोमीटर की कठिन अपहिल और डाउनहिल (uphill and downhill)शामिल थी। दूसरे दिन की प्रतियोगिता में साहस से भरपूर 50 किलोमीटर की दूरी तय करनी थी। इस ट्रैक में पूरी तरह से मिश्रित ट्रेक, एमटीबी (MTB) रोड, कठिन अपहिल और डाउनहिल (uphill and downhill) और ऑफ-रोड शामिल था।

दो दिनों की कठिन एमटीबी (MTB) कौसानी प्रतियोगिता के बाद अंजू अगले दिन वापस अपने गांव 91 किलोमीटर साइकिल चलाकर मात्र 6 घंटों में पहुंची। तीन दिनों में कुल मिलाकर 148 किलोमीटर की दूरी तय करना किसी भी हिमालयी लड़की के लिए एक अद्भुत उपलब्धि है। जो उसने कभी सोचा भी नहीं था, वह कर दिखाया।

मुन्दोली राइडर्स क्लब इन प्रतिभावान नवयुवक, नवयुवतियों को खोजने का प्रयास कर रहा है और आने वाले समय में यहां से निकालने वाले कई खिलाड़ी, कई अधिकारी जो देश के नेत्रत्व विभिन क्षेत्र में करेंगे, और आने वाली पिडिय़ों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनेंगे।

क्लब का मोटो “हमारा प्रयास, हुनर की तलाश” की तर्ज पर ही काम किया जा रहा है, कहते हैं, ‘पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी, पहाड़ के  काम नहीं आती’ लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, अब पहाड़ की जवानी और पहाड़ का पानी, पहाड़ के कम ही आएगा।

अंजू की कहानी हमें यह सीख देती है कि हौसले और जुनून से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। संसाधनों की कमी कभी भी सफलता की राह में रोड़ा नहीं बननी चाहिए। मुन्दोली राइडर्स क्लब जैसी संस्थाएं पिछड़े क्षेत्रों के प्रतिभाशाली युवाओं को निखारने का सफल प्रयास कर रहा है, अभी बीज अंकुरित हुआ है, अभी फूल और फल लगने बाकी है।

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