कलम सिंह बिष्ट का सपना: पहाड़ से दुनिया तक का सफर

1. “कलम सिंह बिष्ट का सपना: पहाड़ से दुनिया तक का सफर”
2. “मुंदोली राइडर्स क्लब: अनुशासन से सफलता तक की कहानी”
3. “मावला घाटी में गूंजा उत्तराखंड: कलम सिंह और टीम ने रचा इतिहास”
4. “सेना से सेवा, फिर समाज: कलम सिंह बिष्ट की प्रेरणादायक यात्रा”
5. “370 बच्चों की उम्मीद बन चुका है मुंदोली राइडर्स क्लब”
देहरादून। "मुन्दोली  राइडर्स क्लब"  के संस्थापक श्री कलम सिंह बिष्ट और उनकी टीम के साथ
आज की इस विशेष प्रेस कॉन्फ्रेंस में हमारे साथ उपस्थित हैं “मुन्दोली  राइडर्स क्लब”   के संस्थापक श्री कलम सिंह बिष्ट, जिनका जन्मस्थान उत्तराखंड के चमोली जिले के पर्वतीय सिमंत गाँव  मुन्दोली  में हुआ। इन्होंने भारतीय सेना में 29 अगस्त 1996  को नामांकन लिया और 31 जुलाई 2012 को सेवा निवृत्त होकर एक नया मिशन शुरू किया — हिमालयी गाँवों के युवाओं को दिशा देने का। उनके साथ मंच पर मौजूद हैं क्लब के गौरवशाली सलाहकार कर्नल ईश्वर सिंह फरस्वान, एस.के. तोमर, पुष्पा देवी, दीप्ति, अंजू, ऋषभ, और सूरज।
श्री कलम सिंह बिष्ट ने बताया कि सेना से सेवानिवृत्ति के बाद जब वे अपने गाँव लौटे तो उन्होंने महसूस किया कि बचपन में उन्हें जो सुविधाएँ, प्रशिक्षण और कोचिंग नहीं मिल पाई, वो अब वो आने वाली पीढ़ी को दें। उनके पिता की तबीयत खराब थी, इसीलिए उन्होंने समय से पहले सेवानिवृत्ति ली और गाँव में रहकर बच्चों के भविष्य के लिए कार्य करना शुरू किया। इसी सोच से 2023 में  “मुन्दोली  राइडर्स क्लब”   की स्थापना हुई। यह क्लब आज केवल खेल नहीं, बल्कि एक संस्कृति, एक अभियान बन चुका है।

“मुन्दोली  राइडर्स क्लब”   आज बच्चों को रनिंग, साइक्लिंग, बैडमिंटन, बॉक्सिंग, म्यूज़िक, डांस, माउंटेनियरिंग, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी, कंप्यूटर, अग्निवीर की तैयारी, सेल्फ डिफेंस, पर्यावरण, स्वच्छता  और सबसे महत्वपूर्ण अनुशासन की शिक्षा दे रहा है। वर्तमान में क्लब से 370 छात्र प्रशिक्षण ले रहे हैं। क्लब का लक्ष्य है – भविष्य में स्वयं अल्ट्रा रन, ट्रेल रन, मैराथन और साइक्लिंग जैसे आयोजन करना, जिससे गाँवों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले, हमारी नई पीढ़ी नशे से दूर आत्मनिर्भर  बने.
हाल ही में क्लब ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। 13-15 जून 2025 को पुणे के मावला घाटी में आयोजित “द ग्रेट मावला घाटी अल्ट्रा ट्रेल रन” में क्लब के 4 प्रतिभागियों ने शानदार प्रदर्शन किया। कलम सिंह बिष्ट ने 161 किलोमीटर की दूरी मात्र 34 घंटे में पूरी कर अपने साहस और सहनशक्ति का परिचय दिया। उनकी पत्नी, पुष्पा देवी, जो 45 वर्ष से अधिक आयु की हैं, ने 10 किलोमीटर, क्लब की सक्रिय सदस्य अंजू ने 50 किलोमीटर, और सदस्य ऋषभ ने 75 किलोमीटर दौड़ पूरी की। इससे पहले भी क्लब की अंजलि ने नेशनल गेम्स ट्रायल में भाग लिया और कुछ बच्चे SAI (Sports Authority of India) द्वारा चयनित किए गए हैं।

श्री बिष्ट का कहना है, “पहाड़ का पानी और पहाड़ का युवा कभी पहाड़ के काम नहीं आते – यह कहावत अब बदल रही है। अब पहाड़ का युवा जाग रहा है, आगे बढ़ रहा है, और सफलता के नए आयाम छू रहा है।” वे स्वयं अब तक 50km, 64km, 100km, 161km जैसे अल्ट्रा रन, साथ ही कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय पर्वत शिखरों (जैसे त्रिशूल, सतोपंथ, भगीरथी, नंदा घुन्टी आदि) को चढ़ने का प्रयास कर चुके हैं, और इन प्रयासों के माध्यम से वे संसाधन जुटा रहे हैं ताकि हिमालय के बच्चे भी जीवन की दौड़ में पीछे न रहें।
उनका सपना है कि वे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाएं — विश्व की ऊँची चोटियों को चढ़कर, सबसे कठिन दर्रों को पार कर, और सबसे लंबी अल्ट्रा रन को सबसे कम समय में पूरा करके। यही नहीं, वे इस कार्य से प्रेरणा लेकर आने वाली पीढ़ी को ऐसा बनाना चाहते हैं जो आत्मनिर्भर, अनुशासित और ऊँचाइयों को छूने में सक्षम हो।
“मुन्दोली  राइडर्स क्लब”   के यह प्रयास केवल एक खेल संस्था नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन चुका है, जो आने वाले समय में उत्तराखंड ही नहीं, पूरे भारत के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकता है।
 “मुन्दोली  राइडर्स क्लब”  का उपदेश आने वाली नेवी पीढ़ी को नई दिशा,  नशे से दूर, अपनी संस्कृति परम्परा का ज्ञान, अनुशासित और आत्मनिर्भर बनाना है।
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