बीज बम अभियान के तहत जगह-जगह डाले गए बीज बम
पहाड़वासी
देहरादून। हिमालय पर्यावरण जड़ी बूटी एग्रो संस्थान जाड़ी द्वारा विभिन्न स्वैछिक संगठनों, पंचायतों, सरकारी विभागों, स्कूलों व शिक्षकों के साथ मिल कर विगत वर्षों की भांति इस वर्ष 9 जुलाई से 15 जुलाई तक बीज बम अभियान मनाया गया। अभियान के समापन के अवसर पर लोंगों के द्वारा बनाये गये बीज बम जगह-जगह डाले गये।
इस वर्ष बीज बम अभियान सप्ताह को 15 राज्यो मे 35 स्वैच्छिक संगठनो, मध्य प्रदेश मे वन विभाग, 40 ग्राम पंचायतों, 200 से अधिक शिक्षक साथियों व स्वैच्छिक सामाजिक कार्यकर्तओ ने 400से अधिक स्थानो पर बीज बम अभियान सप्ताह मनाया। अजीम प्रेमजी फाऊंडेसन, कासा व राजीव गाँधी फाऊंडेसन ने वर्चुअल माध्यम से 500 से अधिक लोगो व शिक्षकों को बीज बम अभियान से जोड़ा गया। कोविड 19 के कारण देश भर मे बड़े आयोजन नहीं किये गये। सप्ताह का आयोजन उत्तराखण्ड, हिमाचल, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, छातीसगढ़, झारखण्ड, मणिपुर, आसम, तेलगना, बंगाल, बिहार, पंजाब, चंडीगढ़ उत्तरप्रदेश आदि राज्य मे किया गया। अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने कहा कि ’पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्बहाली व मानव एवं वन्यजीवों के बीच बढे संघर्ष को कम करने के लिये जाड़ी संस्थान द्वारा चलाया जा रहा बीज बम अभियान की स्वीकार्यता उत्तराखंड के साथ देश के अन्य राज्यों मे बढी है। लोग व अन्य राज्यो के कई विभाग अपने अपने अनुसार बीज बम अभियान चला रहे है। वर्ष 2020 से कोविड के कारण अभियान को विस्तार देने के लिये जिस तरह से देश भर मे यात्रा, पद यात्रा की जानी थी वह भी नही हो पाई। देहरादून में सप्ताह के समापन के अवसर पर मोहंड़ के जंगलों मे बीज बम बरसाये गये। इस अवसर पर विकास पन्त, सुरक्षा रावत, संगीता नौटियाल, जे0पी0 मैठाणी, बीना बिस्ट, आशा चैहान, अभिषेक भट्ट आदि ने भाग लिया। बीज बम बनाने की विधिः बीज बम बनाने मे सरल व सुलभ है, इसको बनाने के लिये मिटटी, कम्पोस्ट और पानी को मिलाकर गोला बनाते है। गोले के अन्दर जलवायु के अनुसार दो बीज रख देते है। चार दिन छाव मे सुखा जाने के बाद कही भी जंगल मे डाल देते है। अनुकूल वातावरण मिलने पर बीज बम अकुरित हो जाता है।