इंडियन आर्मी सूर्य देवभूमि चैलेंज मिर्ची के सहयोग से अडवेंचर, कल्चर और एंड्योरेंस का एक भव्य संगम साबित हुआ

देहरादून। उत्तराखंड की भव्य वादियों में जब सहनशक्ति, साहस और देशभक्ति की गूंज उठी, तब इंडियन आर्मी ने एस बी आई और मिर्ची के सहयोग से सफलता पूर्वक‘मल्टी डे स्पोर्टिंग ष्सूर्य देवभूमि चौलेंजष् का आयोजन किया-जिसने देशभर के एथलीट्स,एडवेंचर प्रेमियों और चेंज मेकर्स को एक मंच पर लाकर देवभूमि उत्सव मनाया।उत्तराखंड की अद्भुत और पवित्र प्राकृतिक सुंदरता के बीच आयोजित इस अनोखे इवेंट मेंभरपूर रोमांच और पहाड़ों की शांति का अद्भुत संगम देखने को मिला।तीन दिनों तक चले इस आयोजन में साइक्लिंग, ट्रेल रनिंग और रोड रनिंग जैसी चुनौतियों को पार करते हुए पार्टिसिपेंट्स ने क्षेत्र के कुछ सबसे सुंदर लेकिन कठिन प्रदेशोंको पार किया।भारतीय सेना का सूर्य देवभूमि चौलेंज केवल शारीरिक क्षमता की परीक्षा नहीं था यह एक मंच थाष्वाइब्रेंट विलेज प्रोग्रामष्को उजागर करने का, जो कि उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों को विकसित करने और उनमें नई ऊर्जा भरने की, सरकार की एक पहल है।नेलोंग, भटवाड़ी, बूढ़ा केदार, घुत्तू, त्रियुगी नारायण से लेकर सोनप्रयाग तक की यात्रा ने इन अनदेखे रत्नों को एक नई पहचान दी ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिला और स्थानीय समुदायों को सशक्त करने की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया गया।

पहला दिनः सबसे ऊंचे और कठिन रास्तों से होते हुए..नेलोंग से भटवाड़ी तक 105 किमी की साइक्लिंग ट्रेल।दूसरा दिनरूस्टॅमिना और स्पिरिटकी परीक्षालेते हुए,भटवाड़ी से बूढ़ा केदार तक 24.5 किमीके साथ एडिशनल11.5 किमी की ट्रेल रन। तीसरा दिनः घुत्तू से त्रियुगी नारायण तक 34.7 किमी की ट्रेल रन और फिर सोनप्रयागतक 6.6 किमी की रोड रन से भावनात्मक और उत्साहजनक समापन।

भारतीय सेना के प्रतिष्ठित अधिकारियों ने इस इवेंट की शोभा बढ़ाई, जिन्होंने उत्तराखंड की कठिन परंतु सुंदर भूमि को पार करनेवाले 150 से अधिक पार्टिसिपेंट्स का स्वागत किया।लेफ्टिनेंट जनरल डी. जी. मिश्रा, ने इस चौलेंज की फ्लैग-ऑफ की जिम्मेदारी संभाली और इस अडवेंचरस यात्रा की शुरुआत को हरी झंडी दी।एस बी आई जो कि देशसेवा और विकास से जुड़ा एक ब्रांड है, इस आयोजन का पार्टनर बना।एस बी आई का सहयोग सिर्फ स्पॉंसरशिप तक ही सीमित नहीं रहा उन्होंने सामुदायिक विकास और पर्यावरणीय उत्तरदायित्व को समर्थन देकर आयोजन की योजना से मेल खाया।सूर्य देवभूमि चौलेंज सिर्फ एक खेल प्रतियोगिता नहीं थी यह भारत की भावना, लोगों के जज़्बे और गांवों की अपरिचित सुंदरता का एक भावनात्मक सम्मान था। जैसे-जैसे पार्टिसिपेंट्स फिनिश लाइन पार करते गए, एक पावरफुल मेसेज सबके दिलों में गूंजा ष्रोमांच (एडवेंचर) प्रेरणा बन सकता है, सशक्त बना सकता है और सबको एक कर सकता है।अपने प्रथम पदार्पण में ही सूर्य देवभूमि चौलेंज ने न केवल एंड्योरेंस स्पोर्ट्स में एक नया मापदंड स्थापित किया, बल्कि उत्तराखंड की मर्मको पहचानने और जीवित रखने के लिए एक नई मूवमेंट भी शुरू की है।

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