सूर्य देवभूमि चैलेंज 2025 में स्वर्ण पदक जीता कलम सिंह बिष्ट ने, सीमांत गांव मुन्दोली, देवाल,चमोली के रहने वाले है!

देहरादून।​ उत्तराखंड के सीमांत गांव मुन्दोली (तहसील देवाल, थराली, जिला चमोली) के पूर्व सैनिक, पर्वतारोही, साइक्लिस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता श्री कलम सिंह बिष्ट ने ‘सूर्य देवभूमि चैलेंज 2025’ में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। भारतीय सेना की गढ़वाल स्काउट्स द्वारा आयोजित इस त्रिदिवसीय अल्ट्रा दौड़, साइक्लिंग इवेंट में, उन्होंने 170 प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया।​

 आयोजन का उद्देश्य

यह आयोजन भारतीय सेना की सूर्य कमान, उत्तराखंड पर्यटन विभाग और रेडियो मिर्ची के सहयोग से 18 से 20 अप्रैल 2025 तक आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य सीमांत गांवों में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देना, पुरानी चारधाम यात्रा मार्गों को पुनर्जीवित करना और ‘वाइब्रेंट विलेज मिशन’ के अंतर्गत सीमांत क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित करना था।

आयोजन की रूपरेखा

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18 अप्रैल 2025: नेलोंग घाटी से भटवाड़ी तक 110 किमी की साइक्लिंग।

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19 अप्रैल 2025: भटवाड़ी से बूढ़ा केदार तक 37 किमी की ट्रेल रनिंग।

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20 अप्रैल 2025: घुट्टू से त्रियुगीनारायण तक 34.7 किमी की ट्रेल रनिंग और फिर त्रियुगीनारायण से सोनप्रयाग तक 6.6 किमी की रोड रनिंग।​

इस आयोजन का उद्घाटन लखनऊ स्थित केंद्र कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मिश्रा द्वारा किया गया, जिन्होंने इसे राष्ट्र निर्माण और हिमालयी क्षेत्रों में सतत विकास के प्रति भारतीय सेना की प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।

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कलम सिंह बिष्ट: प्रेरणा का स्रोत पूर्व सैनिक कलम सिंह बिष्ट, जिन्होंने भारतीय सेना में सेवा दी है, एक अनुभवी पर्वतारोही, अल्ट्रा ट्रेल रनर, साइक्लिस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने अपने जीवन को हिमालयी क्षेत्रों के गरीब और वंचित बच्चों के विकास के लिए समर्पित किया है, उन्हें उनकी रुचियों के अनुसार मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करते हैं।​

उनका संदेश है: “अपनी सीमाओं को पार करें, आत्मबल – आत्मशक्ति बनाए रखें, स्वयं से प्रतिस्पर्धा करें और सदा ईश्वर का आभार व्यक्त करें।”​

आयोजन का महत्व

‘सूर्य देवभूमि चैलेंज 2025’ न केवल एक खेल प्रतियोगिता थी, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन था, जिसका उद्देश्य सीमांत क्षेत्रों में जीवन को पुनर्जीवित करना, पर्यटन को बढ़ावा देना और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना था। इस आयोजन ने सीमांत गांवों में रोजगार के नए अवसर पैदा किए, स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया और युवाओं को साहसिक खेलों के प्रति प्रेरित किया। ​

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आभार और समापन

कलम सिंह बिष्ट ने भारतीय सेना, विशेष रूप से गढ़वाल स्काउट्स के कमांडिंग ऑफिसर, को इस आयोजन के उत्कृष्ट प्रबंधन, हाइड्रेशन सपोर्ट और प्रशासनिक सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।​

यह आयोजन न केवल एक खेल प्रतियोगिता थी, बल्कि यह एक सामाजिक आंदोलन था, जिसने सीमांत क्षेत्रों में जीवन को पुनर्जीवित करने, पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया।​

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